Home राजनीती विदिशा में कायम शिवराज का वर्चस्व: फिर सांसद बने पूर्व मुख्यमंत्री चौहान,

विदिशा में कायम शिवराज का वर्चस्व: फिर सांसद बने पूर्व मुख्यमंत्री चौहान,

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लोकसभा चुनाव 2024 में विदिशा सीट पर एक बार फिर बीजेपी ने बाजी मारी है। बीजेपी के प्रत्याशी पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान  ने कांग्रेस उम्मीदवार  प्रतापभानू शर्मा को 5 लाख से ज्यादा वोटों से मात दी है। विदिशा सीट (Hoshangabad Seat Result) पर एमपी के तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग हुई थी। इस सीट पर कुल 74.48% मतदान हुआ था। बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान 6वीं बार विदिशा से सांसद बने हैं.

छठवीं बार सांसद बने शिवराज

बीजेपी ने शिवराज को छठवीं बार मैदान में थे. विदिशा सीट से वे पांच बार सांसद रह चुके हैं. इस बार जीत के साथ उन्होंने सिक्सर लगाया है. शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा लोकसभा सीट से पहली बार 1991 में सांसद चुने गए थे. इसके बाद से वह 2004 तक यहां से सांसद चुने जाते रहे.

प्रतापभानू शर्मा नहीं दिला पाए जीत

कांग्रेस ने 33 साल बाद दादा प्रताप भानु शर्मा को मैदान में उतारा था. वह विदिशा लोकसभा सीट से एक बार पहले भी सांसद रह चुके हैं. प्रताप भानु 1980 से 1984 तक सांसद रहे हैं. वह मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उद्योगपति भी हैं और एक शिक्षाविद भी हैं. प्रताप भानु अपने राजनीतिक करियर के साथ-साथ कई समाज सेवा के कार्यक्रमों से जुडे रहते है. हालांकि वे बीजेपी को इसबार जीत नहीं दिला पाए. 

विदिशा सीट का इतिहास

 विदिशा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास आजादी के 20 साल बाद 1967 से शुरू होता है. तब हुए पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ से शिव शर्मा ने चुनाव जीता. 1971 में जनसंघ के टिकट पर यहां की जनता ने इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के संस्थापक रामनाथ गोयनका को अपना सांसद चुना जबकि गोयनका को हमेशा ही सत्ता विरोधी रूख रखने के लिए जाना जाता है.कांग्रेस का खाता इस सीट पर 1980 में खुला था…जब इंदिरा कांग्रेस के प्रतापभानु कृष्णगोपाल ने जीत दर्ज की थी.ऐसा माना जाता है कि यहां के सांसद राघव जी ग्वालियर से चुनाव लड़ने चले गए थे इस विजह से प्रतापभानु को लगातार दो बार जीत मिली..लेकिन 1989 में राघवजी ने यहां बीजेपी का कमल खिलाया और उसके बाद से लेकर अब तक यह सीट भगवा रंग में ही रंगी है.साल 1991 के चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यहां से चुनाव लड़े और जीते लेकिन उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया. दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक करियर बना दिया. 

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