Home धर्म साल में एक ही बार आता है ये शुभ दिन, करें ये उपाय, गृह क्लेश होगा दूर, कारोबार में भी मिलेगी कामयाबी

साल में एक ही बार आता है ये शुभ दिन, करें ये उपाय, गृह क्लेश होगा दूर, कारोबार में भी मिलेगी कामयाबी

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सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार को है, और इस दिन ज्यादातर लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं. यह दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह साल की सबसे बड़ी अमावस्या होती है. पितरों के तर्पण का यह अवसर बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन किसी भी तीर्थ स्थल पर जाकर अपने पितरों को पिंडदान और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. जो पितृ वायु रूप में भटक रहे होते हैं, उन्हें पिंडदान से शरीर रूप प्राप्त होता है. अगर किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में कालसर्प दोष, पितृ दोष या अन्य कोई दोष हो, या यदि परिवार में वंश वृद्धि नहीं हो रही हो, घर में कलह हो, या व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा हो, तो इस दिन पितरों का पिंडदान करने से इन समस्याओं में राहत मिलती है.

इस दिन की अमावस्या पिंडदान करने से पितरों को पिंड रूपी शरीर की प्राप्ति होती है. तो वहीं पिंड तर्पण करने से पितरों की भूख प्यास समाप्त जाती है. इस प्रकार जिस भी जातक के जन्मपत्रिका में किसी भी प्रकार का दोष होता है. जैसे कालसर्प दोष, पितृ दोष. जिनके घर में वंश वृद्धि नहीं हो पा रही, घर में गृह क्लेश है, व्यापार में हानि होती रहती है, इस दिन पितरों को पिंडदान पिंड दर्पण करने से इन सभी कार्यों में राहत मिलती है.

तीर्थ का राजा पुष्कर राज
कविता जांगिड़ ने बताया कि अमावस्या के दिन पिंडदान तर्पण तीर्थ स्थल पर करें. समस्त तीर्थ का राजा पुष्कर राज को कहा गया है. अगर यहां जाकर अमावस्या के दिन पिंडदान पिंड तर्पण करते हैं. समस्त तीर्थ साल में एक बार पुष्कर राज को ढोकने आते हैं. पुष्कर में ज्ञात और अज्ञात पितरों के पिंडदान हो जाते हैं कोटा में आप चंबल नदी के किनारे भी पिंडदान पिंड तर्पण कर सकते हैं.

कैसे कराए भोजन
उन्होंने ने बताया कि गरुड़ पुराण सहित कई पुराणों में बताया गया है कि पितरों का श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. आप भी अगर सर्वपितृ अमावस्या पर अपने पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर रहे हैं, तो आपको श्राद्ध भोजन से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे कि आपके पितरों की आत्मा को मुक्ति मिल सके. पितृपक्ष में अगर आप पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं, तो आपको केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन नहीं परोसना चाहिए, क्योंकि श्राद्ध का भोजन केले के पत्ते पर नहीं परोसा जाता है. आप चांदी, कांसे, तांबे के बर्तनों में भोजन परोस सकते हैं. वहीं, पत्तल पर भोजन परोसना भी शुभ माना जाता है.

शारदीय अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें
1.इस दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए.
2. जितना हो सके गाय को हरा चारा देना चाहिए पक्षियों को दाने देना चाहिए.
3. जितना हो सके लोगों को पानी पिलाना चाहिए.
4. गरीब निर्धन लोगों को खाना खिलाना चाहिए.

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