Home देश 3 महीने में चांदी 92000 रुपये तक पहुंच सकती है, रेस में पिछड़ गया सोना…

3 महीने में चांदी 92000 रुपये तक पहुंच सकती है, रेस में पिछड़ गया सोना…

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इस साल अब तक चांदी की कीमतों ने सोने को काफी पीछे छोड़ दिया है।

घरेलू स्पॉट मार्केट में साल-दर-साल आधार पर चांदी ने लगभग 18 प्रतिशत की बढ़त हासिल की है और ₹86,000 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही है।

वहीं, अगर सोने की बात करें तो इस साल अब तक सोने की हाजिर कीमतों में लगभग 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह ₹73,000 प्रति 10 ग्राम के करीब है।

लोकसभा चुनाव के कारण 20 मई को सुबह के सत्र के लिए एमसीएक्स पर कारोबार बंद है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतें आधा प्रतिशत से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं, जबकि चांदी की कीमतें एक प्रतिशत से अधिक उछल गईं हैं।

क्यों बढ़ रहीं कीमतें

बढ़ती औद्योगिक मांग की वजह से चांदी की डिमांड बढ़ी है। चांदी का इस्तेमाल सौर पैनलों और इलेक्ट्रिक वाहनों सहित कई उद्योगों में किया जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार वैश्विक स्तर पर उत्पादित चांदी का लगभग 50 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।

एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च की प्रमुख वंदना भारती ने कहा, “चांदी की वैश्विक मांग 2024 में 1.2 बिलियन औंस तक पहुंचने की उम्मीद है, जो संभवतः अब तक का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है।”

भारती ने बताया, “अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सौर पीवी विनिर्माण में वैश्विक निवेश पिछले साल दोगुना से अधिक होकर लगभग 80 बिलियन डॉलर हो गया है। चीन में सौर पीवी पैनल निर्माताओं की चांदी की मांग 2030 तक लगभग 170 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो लगभग 273 मिलियन औंस या कुल चांदी की मांग का लगभग पांचवां हिस्सा तक पहुंच जाएगी।”

दूसरा कारण सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के कारण चांदी के आभूषणों की मांग में भी सुधार है। सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारत की अगुवाई में चांदी के आभूषणों की वैश्विक मांग 6 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।

सोना खरीदें या चांदी

भारती के मुताबिक, लगातार बढ़ती औद्योगिक मांग के कारण आने वाले वर्षों में चांदी का प्रदर्शन सोने से बेहतर रहने की संभावना है। यदि फेड 2024 में ब्याज दरों में कटौती करना शुरू करता है, तो इससे चांदी की कीमतों को अतिरिक्त बढ़त मिलेगी। हालांकि, सोने और चांदी में निवेश निवेशकों की जोखिम क्षमता के अनुरूप होना चाहिए।

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