कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान की खूब चर्चा हो रही है, जो उन्होंने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिया था।
इस दौरान उन्होंने अपनी और अपनी पार्टी की गलती स्वीकारी और उसमें सुधार लाने की बात कही है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश के संस्थापकों की अपेक्षा की तुलना में संविधान लोगों की कम मदद कर रहा है। यह सफलता के साथ-साथ विफलता भी है।
शुक्रवार को यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ‘राष्ट्रीय संविधान सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्टी को आने वाले समय में अपनी राजनीति को बदलनी होगी।
उन्होंने कहा ,”मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी ने भी गलतियां की हैं, मैं कांग्रेस का होते हुए भी यह कह रहा हूं।” हालांकि उन्होंने किसी गलती का जिक्र नहीं किया।
राहुल गांधी ने आरक्षण, जाति व्यवस्था के साथ-साथ संविधान पर कथित हमलों के बारे में भी बात की। राहुल ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में लोगों का भविष्य जन्म से पहले ही तय हो जाता है।
राहुल ने कहा, ”लोगों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा जाता है, जिससे तय होता है कि वे कौन सा काम करने में सक्षम हैं और कौन सा काम नहीं कर सकते।”
राहुल गांधी ने कहा, “हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों ने ऐसा जीवन जीया है, जहां उन्होंने अपना भविष्य तय नहीं किया है, बल्कि समाज ने उनके लिए यह किया है।
कई लोग इस वास्तविकता को स्वीकार करते हुए इसे बदलने के लिए खड़े हुए।” राहुल ने कहा कि जो लोग जीवन भर राजनीति में सत्ता के पीछे भागते हैं वे इस वास्तविकता को स्वीकार नहीं करते हैं। वे कभी भी अपनी या दूसरों की वास्तविकता को स्वीकार नहीं करते हैं।
उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए खुद की स्थिति स्पष्ट की। गांधी ने कहा ,”सच्चाई यह है कि मैं जनता की आवाज हूं।
मैं भारत जोड़ों यात्रा में समझ गया कि मैं जनता की आवाज, जनता का दुख दर्द हूं और इसके सिवा मैं कुछ हूं ही नहीं।” कांग्रेस नेता ने कहा, ”मुझे और किसी चीज में रुचि नहीं है। अब सवाल उठता है कि आगे क्या करना है। किसी का नुकसान नहीं करना है, सबसे पहले हिंदुस्तान की जो सामाजिक सच्चाई है उसको देश के सामने रखना है। किसी को धमकी नहीं देनी, चोट नहीं मारना है।”