भोपाल : वर्ष 2024 प्रदेश में गौ-संरक्षण और संवर्धन के नाम रहा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में इस भारतीय वर्ष (चैत्र माह से फाल्गुन माह तक) को गौ-संरक्षण और संवर्धन वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने इस वर्ष पशुपालकों के लिए कई नई योजनाएं लाकर उन्हें आमदनी के नए अवसर भी प्रदान किए।
पशुपालकों एवं गौ-संवर्धन के विकास व संरक्षण के लिए वर्ष 2024-25 के लिए 590 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। इस वर्ष मुख्यमंत्री सहकारी दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के लिए बजट में 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। भोपाल के बरखेड़ी-डोब में 10 हजार गौ-वंश क्षमता वाली हाइटेक गौ-शाला बनाई जा रही है, जिसका मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा भूमि-पूजन किया गया। प्रदेश में बड़ी संख्या में गौ-शालाएं बनाई जा रही है और चरनोई की भूमि से अतिक्रमण हटाए जा रहे है। प्रदेश में संचालित 2500 गौ-शालाओं में 4 लाख से अधिक गौ-वंश का पालन किया जा रहा है।
सरकार के निरंतर प्रयासों से प्रदेश में कृषि कार्य के साथ ही पशुपालन, किसानों की आय बढ़ाने का बड़ा जरिया बन गया है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से भी प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए करारनामा हुआ है। किसानों और पशुपालकों को प्रोत्साहन के लिए दुग्ध उत्पादन पर बोनस दिया जायेगा। देशी गाय और अच्छी नस्ल के देशी नंदी के पालन के लिए मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना में भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है। किसानों को गौ-पालन और सौर संयंत्रों के प्रयोग पर सरकार प्रोत्साहन दे रही है।
दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश भारत के अग्रणी राज्यों में शामिल है। यहां दुग्ध उत्पादक किसान न केवल बड़ी मात्रा में दूध का उत्पादन कर रहे हैं, अपितु दुग्ध और दुग्ध उत्पादों के विक्रय से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। राष्ट्र का 9% दुग्ध उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का संकल्प प्रदेश के दुग्ध उत्पादन को देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 20% तक पहुंचाना। मध्यप्रदेश दुग्ध संघ का सांची ब्रांड वाजिब दामों में उच्च गुणवत्ता युक्त नए-नए दुग्ध एवं अन्य उत्पाद बाजार में ला रहा है, जिससे सदस्य किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। प्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाने में दुग्ध उत्पादन का महत्वपूर्ण स्थान है।
पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटेल ने बताया कि भारत में दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का तीसरा स्थान है। प्रदेश में 591 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है। मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 644 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम प्रतिदिन का है। प्रदेश में 7.5% पशुधन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.05 का है। वर्ष-2019 की पशु संगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में गौ-वंश पशु संख्या देश में तीसरे स्थान पर 187.50 लाख है, वही भैंस वंश पशु संख्या चौथे स्थान पर 103.5 लाख है। प्रदेश में पशुओं के उपचार के लिए चलित पशु चिकित्सा वाहन (1962) संचालित है, जो कि स्थान पर जाकर पशुओं का इलाज करते हैं।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में अव्वल है। प्रदेश ने 240.47 लाख गौ-वंशी एवं भैंसों के टीकाकरण में भी देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है। पशुपालकों से मात्र 100 रुपए के शुल्क पर गायों का नस्ल सुधार किया जाता है। इससे पशुपालकों को अच्छी आय प्राप्त हो रही है।
प्रदेश में गौ-वंश के बेहतर आहार के लिये प्रति गौ-वंश मिलने वाली 20 रुपये की राशि बढ़ाकर 40 रुपये करने का निर्णय लिया गया है। मार्गों पर दुर्घटना में घायल गायों के लिये हाइड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग वाहन की व्यवस्था की गई है। ग्वालियर स्थित आदर्श गौ-शाला में देश के पहले 100 टन क्षमता वाले सीएनजी प्लांट की स्थापना की गई है। दुग्ध उत्पादन और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने प्रदेश के हर ब्लॉक में एक गाँव वृंदावन ग्राम बनाया जा रहा है। प्रदेश में मई 2023 से प्रारंभ 406 चलित पशु चिकित्सा इकाइयों द्वारा अब तक 5 लाख 46 हजार से अधिक पशुओं को घर पहुंच चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
केन्द्र सरकार के निर्देशन में पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा 21वीं पशु संगणना 2024 का कार्य सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में 25 अक्टूबर 2024 से प्रारंभ हो चुका है। राज्य मंत्री पटेल ने बताया कि प्रदेश के 55 जिलों के कुल 55 हजार 902 ग्रामों व 7846 शहरी वार्डों में पशुओं की गणना की जाएगी। प्रदेश में अब तक कुल 7077 ग्राम/शहरी वार्डों में सर्वे कार्य प्रारंभ हो चुका है, शेष ग्रामों /शहरी वार्डों में सर्वे कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा। प्रदेश में पशु संगणना में 5558 प्रगणक एवं 970 सुपरवाईजर कार्य कर रहे हैं। वर्ष-2019 की पशुगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में 6 करोड़ से अधिक पशु थे। इसके अनुसार पशुओं की संख्या की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान