Home राज्यछत्तीसगढ़ माओवादियों ने कबुला बीते 20 वर्षों में एक हजार महिला समेत कुल 5,249 माओवादियों की हुई मौत

माओवादियों ने कबुला बीते 20 वर्षों में एक हजार महिला समेत कुल 5,249 माओवादियों की हुई मौत

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रायपुर
 माओवादियों ने अपनी 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 25 पन्नों का बुकलेट जारी किया है। बुकलेट में बताया गया कि बीते 20 सालों में माओवादियों के 8 पोलित ब्यूरो समेत केंद्रीय कमेटी के 22 सदस्यों की जान गई जबकि एक हजार महिला माओवादियों समेत कुल 5,249 माओवादियों की मौत हुई है।

माओवादियों ने अपनी बुकलेट में 20वीं स्थापना वर्षगांठ को 21 सितंबर से 20 अक्टूबर तक देशभर में समरूपता एवं क्रांतिकारी जोश के साथ मनाने का आह्वान किया। बुकलेट में कहा गया है कि क्रांतिकारी आंदोलन द्वारा चुनौतियों को स्वीकार करें और तीन जादुई हथियारों के रूप में पार्टी, पीएलजीए एवं संयुक्त मोर्चा को विकसित करेंतथा पार्टी का उन्मूलन करने के लक्ष्य से चलाये जा रहे ऑपरेशन कगार का मुकाबला करें।उन्होंने अपनी बुकलेट में पुलिस बलों द्वारा उनके खिलाफ चलाये जा रहे अभियानों की जानकारी दी है तथा इसे क्रूर जनसंहार युद्ध कहा है।

बुकलेट में माओवादियों ने जानकारी दी है कि मारे जाने वालों में 48 सैक-एसजीडीसी,एससी सदस्य, 14 आरसी सदस्य, 167 जेडसी-डीवीसी -डीसी सदस्य, 26 सब जोनल कमेटी सदस्य, 505 एसी/पीपीसी सदस्य, 871 पार्टी एवं पीएलजीए सदस्य शामिल हैं। माओवादियों ने 3596 मौतों को जन निर्माण कार्यकर्ता और क्रांतिकारी जनता बताया है।

प्रतिबंधित संगठन द्वारा जारी पुस्तिका में कहा गया कि बीते दो दशकों में सुरक्षाबलों पर 4073 बड़े, मझौले एवं छोटे किस्म के कार्यनीतिक जवाबी हमले किये गए। माओवादियों के अनुसार उनके हमले में पुलिस और सुरक्षा बलों के 3090 जवानों हताहत हुए तथा 4077 जवानों को घायल करने की संख्या बताई। जवानों से 2,365 आधुनिक हथियार और 1,19,682 कारतूस और अन्य असलहा हासिल किए जाने की जानकारी दी गई है।

बीते साढ़े तीन सालों में संगठन के बड़े नुकसान का जिक्र करते हुए बताया गया है कि इस दौरान 439 माओवादी सदस्य मारे गए, वहीं 215 हथियारों से हाथ धोना पड़ा है। 2021 से जुलाई 2024 तक 669 गुरिल्ला युद्ध कार्यवाहियों में 261 जवानों को हताहत करने और 516 जवानों को घायल करने की बात लिखी गई। 3 सालों के इन हमलों से 25 हथियार हासिल किए जाने की बात कही गई।वहीं बीते एक वर्ष में ही 218 सदस्यों, कार्यकर्ताओं और लीडर्स की मौत का उल्लेख किया गया है।बुकलेट में जंगलों, बीहड़ों और देहातों से शहरों तक में युद्ध लड़े जाने के बारे में बताया गया है।

माओवादी संगठन के इतिहास की जानकारी देते हुए वे कब-कब और कैसे कमजोर और दोबारा कैसे मजबूत हुए की भी जानकारी दी गई है। इसके अलावा माओवादियों के खिलाफ उभरने वाले जनाक्रोश और जनांदोलनों की बात भी लिखी गई है। उन्होंने अपनी बुकलेट में माओवादियों के केंद्रीय कमेटी ने माओवादी संगठन में होने वाले बदलावों का भी जिक्र किया है।

उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पहले नक्सलियों की पीएलजीए यानी 'पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी' ने 109 पन्नों की एक किताब जारी की थी । इस किताब में माओवादियों ने साल 2000 से लेकर अगस्त 2021 तक अपनी सारी कामयाबी और नुकसान का जिक्र किया था ।इसमें 20 सालों में 4739 नक्सलियों की मौत की जानकारी दी गई थी जिसमें 5 लाख से 1 करोड़ के इनामी 237 नक्सली भी शामिल थे,196 अपने ही लगाए एंबुश में फंसे थे। इसमें उन्होंने यह भी बताया था कि उनके हमलों 3054 जवान बलिदान तथा 3072 जवान घायल हुए थे।

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