Home राज्य रांची के छात्र की मौत पर हेमंत सोरेन ने ओडिशा सरकार से की कड़ी कार्रवाई की अपील

रांची के छात्र की मौत पर हेमंत सोरेन ने ओडिशा सरकार से की कड़ी कार्रवाई की अपील

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भुवनेश्वर के खंडगिरी स्थित आईटीईआर कॉलेज में रांची के इंजीनियरिंग के छात्र अभिषेक रवि की मौत के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से छात्र की मौत की उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने का आग्रह किया। 

सोरेन ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'मैं ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से अनुरोध करता हूं कि ओडिशा के आईटीईआर कॉलेज में रांची के अभिषेक रवि की संदिग्ध मौत की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। भगवान अभिषेक की आत्मा को शांति प्रदान करें और शोक संतप्त परिवार को दुख की इस कठिन घड़ी को सहन करने की शक्ति दें।' 

बता दें कि 19 वर्षीय अभिषेक की 13 सितंबर को इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसे 10 सितंबर को कॉलेज के छात्रावास की छत से गिरने के बाद खंडगिरी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुलिस ने घटना के बाद खंडगिरी पुलिस स्टेशन में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया है। 

बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे आदिवासी: चंपई सोरेन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोमवार को संथाल परगना क्षेत्र में अवैध भूमि लेनदेन की गहन जांच की मांग की। कहा कि आदिवासी राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे। पिछले महीने झामुमो से भाजपा में आए सोरेन की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कथित तौर पर घुसपैठ को संरक्षण देने के लिए झारखंड में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन की आलोचना करने के एक दिन बाद आई है। उन्होंने कहा था कि क्षेत्र में महिलाओं पर अत्याचार करने के अलावा घुसपैठिए जमीन हड़प रहे हैं और जनसांख्यिकी बदल रहे हैं। 

सोरेन ने दावा किया, 'घुसपैठ आदिवासी समाज के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है। आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए बने संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है। मैं क्षेत्र में सभी अवैध भूमि लेनदेन की जांच की मांग करता हूं। आदिवासी एकजुट हो रहे हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकाल देंगे।'

इससे पहले दिन में, उन्होंने पाकुड़ में एक आदिवासी रैली में भाग लिया और बाबा तिलका मांझी और वीर सिदो-कान्हू जैसे उनके प्रतीकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ आदिवासी समुदाय के ऐतिहासिक प्रतिरोध पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान संघर्ष एक निरंतरता है। 

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