Home राजनीती  अब जाति को लेकर जिस तरह से बातें हो रही हैं, वह परेशान करने वाली हैं – स्मृति इरानी

 अब जाति को लेकर जिस तरह से बातें हो रही हैं, वह परेशान करने वाली हैं – स्मृति इरानी

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नई दिल्ली। अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति इरानी ने कहा कि अमेठी की हार का शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर विश्लेषण हो चुका है। क्या बात हुई। यह यहां नहीं बताया जा सकता। स्मृति इरानी ने कहा कि मैंने तो अमेठी में अपनी उपलब्धता रखी, जो वहां सांसद को लेकर शिकायत होती थी कि वे मिलते नहीं हैं। स्मृति इरानी ने कहा कि मैं तो दो बार अनसेफ सीटों से लड़ी हूं। मैंने 2014, 2019 या 2024 में भी टिकट नहीं मांगी। बिना मांगे ही मुझे पार्टी ने मौका दिया था।
स्मृति इरानी ने अमेठी में अपनी हार को लेकर कहा कि मेरे लिए बड़ी जीत यह है कि वहां के बहुत से लोगों ने कहा कि मैं वापसी करूंगी। जनता का मुझ पर यह भरोसा ही मेरी जीत है। उन्होंनेएक पॉडकास्ट में कहा कि मैं जब अमेठी गई तो वहां 4 लाख लोगों के लिए घर बनाए। साढ़े 3 लाख लोगों के घरों में शौचालय बनाए गए। ऐसे पचासों गांव थे, जहां आजादी के बाद से अब तक सड़क ही नहीं बनी थी। मैंने 80 हजार लोगों को गैस के कनेक्शन दिलाए। उन्होंने कहा कि मेरे लिए सफलता यह है कि 50 हजार बच्चों को केंद्रीय विद्यालय में दाखिला दिलाने में मदद की।
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव हारे थे। नरेंद्र मोदी ही अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जो कभी चुनाव नहीं हारे। यही नहीं इस दौरान उन्होंने बदलते राजनीतिक नैरेटिव की भी बात की और कहा कि अब जाति को लेकर जिस तरह से बातें हो रही हैं, वह परेशान करने वाली हैं। स्मृति इरानी ने कहा कि आज यह विडंबना है कि जाति और गोत्र तक की बातें हो रही हैं। मुझसे लोग पूछते हैं कि आपने तो पारसी से शादी की है। आपके माता और पिता कौन थे। उनकी जाति और गोत्र क्या था।
240 लोकसभा सीटें ही जीतने पर नरेंद्र मोदी क्या कमजोर हो गए हैं? इस सवाल पर स्मृति इरानी ने कहा कि वह कमजोर नहीं हो सकते। मैंने उन्हें 20 सालों से देखा है। उन्होंने कहा कि अमेठी को लेकर बहुत बातें हो रही हैं। लेकिन यह भी सच है कि वहां गांधी परिवार चुनाव लड़ने नहीं आया। स्मृति इरानी ने कहा कि मैंने 2019 में कांग्रेस के अध्यक्ष को हराया था। इस तथ्य को कोई मिटा नहीं सकता। उन्होंने कहा कि यदि मैं अमेठी हारने वाली होती तो गांधी परिवार से कोई न कोई जरूर लड़ता।

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