नई दिल्ली । कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयले से गैस बनाने की योजना को मूर्त रूप दे दिया है। यह दशकों से मंत्रालयों के बीच खींचतान का विषय रहा है। सीआईएल ने बीएचईएल के साथ साझेदारी कर नई कंपनी भारत कोल गैसीफिकेशन एंड केमिकल्स (बीसीजीसीएल) की स्थापना की है। जिसका मकसद कोल इंडिया की कोयला खदानों से 6.60 लाख टन अमोनियम नाइट्रेट का उत्पादन करना है। मामले से जुड़े अधिकारियों के अनुसार पूरी परियोजना की लागत करीब 11,782 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीएफआर) तैयार करने के लिए 1,350 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए गए थे। कोल इंडिया और बीएचईएल ने मई 2024 में संयुक्त उपक्रम बीसीजीसीएल स्थापित किया था। इसमें सीआईएल की 51 और बीएचईएल की 49 फीसदी हिस्सेदारी है।
सीआईएल के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक पीएम प्रसाद ने इसकी जानकारी दी थी कि इस संयुक्त उपक्रम (जेवी) का उद्देश्य कोयले का गैसीकरण कर मध्यवर्ती उत्पादों के रूप में सिन-गैस, अमोनिया और नाइट्रिक एसिड का उत्पादन और अंतिम उत्पाद के रूप में अमोनियम नाइट्रेट का उत्पादन करना है। कुछ उत्पादों का उपयोग सीआईएल के खनन और उत्पादन में होगा है। बाकी अन्य उत्पाद खुले बाजार में बिकने हैं। प्रसाद ने बताया, अमोनियम नाइट्रेट बड़े पैमाने पर विस्फोट करने का प्रमुख अवयव है। इसका उपयोग सीआईएल अपनी खुली खदानों में व्यापक रूप से करता है। प्रस्तावित संयंत्र ओडिशा के लखनपुर क्षेत्र के महानदी कोलफील्ड्स (एमसीएल) लिमिटेड में स्थापित होगा और यह रोजाना 2,000 टन अमोनियम नाइट्रेट व सालाना 6.6 लाख टन उत्पादन करेगा। इसके लिए करीब 13 लाख टन कोयले की जरूरत होगी और सीआईएल को इसकी आपूर्ति एमसीएल से होगी।’
एमसीएल की वसुंधरा कोयले की खदान इस परियोजना के लिए चिह्नित की गई खदानों में है। ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले के लखनपुर क्षेत्र में एमसीएल की करीब 350 एकड़ जमीन इस परियोजना के लिए चिह्नित की गई है। बीएचईएल कोयले के गैसीकरण की निविदा हासिल कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार इस परियोजना के चार चरण होने है। एयर सेपरेशन यूनिट (एएसयू), ऐश हैंडलिंग प्लांट (एएचपी), स्टीम जेनरेशन प्लांट (एसजीपी), कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी) और नॉमिनेशन आधार पर कूलिंग टॉवर। इसके अलावा बीसीजीसीएल ने ‘कोयले से अमोनियम नाइट्रेट’ परियोजना के लिए दूसरी निविदा जारी की है। यह निविदा ‘लंपसम टर्नकी’ (एलएसटीके) आधार पर पूरी की जानी है। एलएसटीके -2 और एलएसटीके-3 के पैकेज में मूल रूप से प्राप्त गैस का शुद्धीकरण कर कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया के अवयव और तरलीकृत नाइट्रोजन का भंडारण किया जाएगा। एलसीटीके-4 के पैकेज में नाइट्रिक एसिड और अमोनियम नाइट्रेट के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
कोल इंडिया गेल के साथ एक और संयुक्त उपक्रम स्थापित करेगा। यह उपक्रम बर्धमान जिले के सोनपुर बजरिया जिले के ईस्टर्न कोलफील्ड्स (ईसीएल) में स्थापित होगा। प्रसाद ने बताया, ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया जारी है। हम सेल के साथ भी संयुक्त उपक्रम की संभावनाएं तलाश रहे हैं।’
कोयले से गैस बनाने…..सीआईएल और बीएचईएल ने मिलाया हाथ
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